आस्था और दृढ़ संकल्प का अनुपम उदाहरण — रास्ते भर उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़

मध्यप्रदेश।
देशभर में श्रद्धा और सन्यास की अद्भुत मिसाल बन चुके धर्मपुरी महाराज इन दिनों मां नर्मदा की परिक्रमा कुछ अलग ही तरीके से कर रहे हैं। उन्होंने पारंपरिक पदयात्रा की बजाय हाथों के बल चलते हुए 3500 किलोमीटर लंबी परिक्रमा का कठिन संकल्प लिया है। यह परिक्रमा मध्यप्रदेश के अमरकंटक से शुरू होकर नर्मदा नदी के दोनों तटों से होती हुई पुनः अमरकंटक में ही पूर्ण होगी।
हाथों के सहारे रोजाना कुछ किलोमीटर की यात्रा
धर्मपुरी महाराज प्रतिदिन दोनों हाथों के सहारे आगे बढ़ते हैं। शरीर के अत्यधिक श्रम के बावजूद उनका जोश और मनोबल धीरे-धीरे जनता में भी नई ऊर्जा भर रहा है। राह में पड़ने वाले गांवों और कस्बों में उन्हें देखने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है।
जहाँ भी धर्मपुरी महाराज पहुंचते हैं, स्थानीय श्रद्धालु दूध, फल और प्रसाद अर्पित कर उनका स्वागत करते हैं। कई स्थानों पर महिलाओं ने आरती उतारकर उन्हें “नर्मदा पुत्र” की उपाधि दी है। बच्चे उनके साथ दौड़ते हुए जयकारे लगाते हैं।

धर्मपुरी महाराज का कहना है—
“मां नर्मदा जीवनदायिनी शक्ति हैं। यह तपस्या मैं व्यक्तिगत सिद्धि के लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए कर रहा हूं।”
धर्मपुरी महाराज की इस अनोखी परिक्रमा की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं। कई लोग इसे 21वीं सदी की जीवंत तपस्या बता रहे हैं।